Monday, September 7, 2009

ARTICLE IN A LEADING HINDI NEWSPAPER DAINIK JAGRAN REGARDING AWARENESS CONCERNING CAROTID ARTERY DISEASE AND ITS TREATMENT

अब मुश्किल नहीं अधरंग का इलाज
यूं तो सभी बीमारियां दुखदाई व तकलीफदेह होती हैं परंतु कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके कारण मरीज की जिंदगी मृत्यु से भी बदतर हो जाती है। ऐसी ही एक नामुराद बीमारी है- अधरंग, लकवा या पैरालईजिज। इस बीमारी में मरीज के शरीर का एक अंग या शरीर का एक हिस्सा काम नहीं करता। कई मामलों में मरीज की जीभ भी रुक जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज या तो परमानेंट चारपाई से जुड़ जाता है या फिर दूसरों पर निर्भर होकर रह जाता है। कई बार तो उसे अपनी रोजाना दिनचर्या, यानी मलमूत्र त्याग के लिए रेंग कर शौचालय तक जाना पड़ता है। यहां तक कि वह अपने तौर पर न तो खाना खा सकता है और न ही पानी पी सकता है। अधरंग क्यों होता है? : वास्कुलर सर्जन डा. गौरव सिंघल के अनुसार 80 प्रतिशत अधरंग का कारण रक्त का थक्का (ब्लड क्लाट) होता है जो रक्त की नस से टूट कर दिमाग वाली नस में चला जाता है और वह दिमाग को जाने वाली रक्त सप्लाई को बाधित कर देता है। जिस कारण शरीर का कोई अंग या कोई हिस्सा बेकार (निष्कि्रय) हो जाता है। पैरालाइजिज अटैक से 20 प्रतिशत लोगों के रक्त की नाड़ी फट जाती है, जिसे ब्रेन हैमरेज कहा जाता है, इससे इंसान की मृत्यु भी हो जाती है। डा. सिंघल के अनुसार पैरालाइजिज अटैक होने से 2/3 लोग अपाहिज हो जाते हैं, जबकि 1/3 की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि बढ़ती आयु, उच्च रक्तचाप, अत्याधिक मोटापा, शूगर आदि भी अधरंग के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं। यही नहीं अधरंग के 2/3 लोगों में शूगर व रक्तचाप की बीमारी पाई जाती है। लक्षण : अस्थायी तौर पर किसी अंग का काम न करना, बोलने में दिक्कत आना, अचानक गिर जाना या बेहोश हो जाना, मुंह टेढ़ा हो जाना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। अत: उपरोक्त लक्षण सामने आने पर उन्हें हल्के में न लें तथा तुरंत विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें। समाधान : डा. गौरव सिंगल के अनुसार 80 प्रतिशत लोगों, जिनके खून में थक्का (ब्लड क्लाट) अधरंग का कारण बनता है, में दिमाग का रक्त सप्लाई करने वाली नाड़ी (जिसे करोटिड आर्टरी) कहा जाता है में ब्लाकेज पाई जाती है। उन्होंने बताया कि अब इस ब्लाकेज को खोलना असंभव नहीं है। इस नाड़ी को खोल कर इसमें जमा रक्त का थक्का हटा कर इसे साफ कर दिया जाता है और मरीज पहले वाली स्थिति में आ जाता है। इस आप्रेशन के बाद मरीज को पुन: पैरालाइजिज अटैक का डर भी नहीं रहता। डा. सिंघल के अनुसार इस सर्जरी को करोटिड एण्डारट्रेक्टमी यानि सीईए कहा जाता है और यह सबसे कामन वास्कुलर सर्जरी है जिसमें सिर्फ 60 मिनट लगते हैं। जिसके करने के एक दिन बाद ही मरीज घर चला जाता है और इस पर लगभग 80 से 90 हजार रुपये खर्च आता है।
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