Thursday, September 17, 2009

FEMORAL ARTERY ENDARTERITIS POST ANGIO-AN UNKNOWN ENTITY


FEMORAL ARTERY ENDARTERITIS IS STILL A RELATIVELY UNKNOWN ENTITY ESPECIALLY AMONG VASCULAR SURGEONS AND CARDIOLOGISTS.NO DOUBT ITS REPORTED INCIDENCE IN LITERATURE IS LESS THAN 1%.

WHAT EXACTLY IS FEMORAL ENDARTERITIS?BASICALLY ITS THE INFECTION OF THE FEMORAL ARTERY AND ITS SURROUNDING TISSUE POST CONVENTIONAL ANGIOGRAM.PATIENT PRESENTS TO YOU WITH PAIN IN THE GROIN GENERALLY WITHIN A WEEK AFTER ANGIO ALONG WITH SYMPTOMS OF SEPSIS AND LOCALISED INFECTION /CELLULITIS IN THE GROIN EXTENDING INVARIABLY OVER THE ABDOMINAL WALL WITH PUS DISCHARGE AT THE PUNCTURE SITE.

WE REPORT A CASE OF FEMORAL ARTERY ENDARTERITIS IN A 73 YEARS OLD MAN WHO REPORTED TO OUR CENTRE IN MOHALI WITH SYMPTOMS OF SEPSIS(HIGH GRADE FEVER,LOW HEAMOGLOBIN,LEUKOCYTOSIS,DERANGED RENAL FUNTION TESTS AND REACTIVE THROMBOCYTOSIS)ALONG WITH SEVERE GROIN PAIN AND SWELLING EXTENDING OVER THE ABDOMINAL WALL.THIS PATIENT UNDERWENT ANGIOGRAM THROUGH THE FEMORAL ROUTE SOME TEN DAYS BACK.HE WAS PUT ON STRONG ANTIBIOTICS BUT TO NO AVAIL.A DOPPLER SCAN AND A CT ANGIO RULED OUT MYCOTIC PSEUDOANEURYSM OF THE FEMORAL VESSELS.

WE TOOK HIM UP FOR IMMEDIATE SURGERY AND FOUND FLORID INFECTION AND CREAMISH YELLOW COLORED PUS EXTENDING FROM THE PUNTURE SITE TO THE GROIN THE ABDOMINAL WALL (SUGGESTIVE OF STAPYLOCOCCUS INFECTION).WE DID A WIDE DEBRIDEMENT OF THE GROIN AND THE FEMORAL ARTERIAL WALL AND REPLACED IT WITH VENOUS PATCH.THE FEMORAL ARTERY WAS COVERED WITH THE TISSUE AROUND TO PREVENT A BLOWOUT.THE GROIN IS LEFT OPEN TILL THE LOCAL INFECTION SUBSIDES AND THE PATIENT IS READY FOR SECONDARY SUTURING.

I FEEL THOUGH UNCOMMON BUT STILL THIS ENTITY LARGELY GOES UNREPORTED /UNDERREPORTED.I HAPPENED TO TALK ABOUT THIS WITH MY COLLEAGUES IN CARDIOLOGY AND VASCULAR FRATERNITY BUT ALL I GET TO KNOW IS THAT THEY HAVE READ ABOUT IT BUT NEVER SEEN IT.ANYWAYS IN A SITUATION LIKE THIS TREATMENT OPTIONS ARE LIMITED AND THE OPERATING SURGEON HAS TO BE VERY AGGRESSIVE IN HIS LINE OF ACTION FOR THESE PATIENTS MAY NEED REPEATED DEBRIDEMENTS AND A POSSIBLE OBTURATOR FORAMEN BYPASS TO SAVE THE LIMB FROM AMPUTATION.
THE ABOVE PICTURE PUBLISHED SHOWS YOU THE SITE OF PUNCTURE WITH PUS DISCHARE ALONG WITH CELLULITIS OF THE NEIGHBOURING TISSUE.

Saturday, September 12, 2009

ME GOING INTERNATIONAL- COVERED EUROPE,CANADA,AMERICA.WHAT NEXT DUDE?

ਭਾਰਤ ਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਕੈਸਰ ਨਾਲ ਗ੍ਰਸਤ ਮੁੱਖ ਖੂਨ ਨਾੜੀ ਦਾ ਸਫਲ ਆਪ੍ਰਰੇਸ਼ਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਡਾਂ ਗੋਰਵ ਸਿੰਗਲ।
ੳਸਲੋ 11ਸਤੰਬਰ (ਰੁਪਿੰਦਰ ਢਿੱਲੋ ਮੋਗਾ) ਮੋਗਾ ਦੇ ਜੰਮਪਾਲ ਅਤੇ ਡਾ ਸੁਬੋਧ ਸਿੰਗਲ ਤੇ ਪ੍ਰੋ ਕਿਰਨ ਸਿੰਗਲ ਦੇ ਹੋਣਹਾਰ ਸਪੁੱਤਰ ਡਾਂ ਗੋਰਵ ਸਿੰਗਲ(ਵਾਸਕੂਲਾਰ ਸਰਜਨ) ਨੇ ਮੈਡੀਕਲ ਸਾਇੰਸ ਚ ਹੋਰ ਚਮਤਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਭਾਰਤ ਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਕੈਸਰ ਨਾਲ ਗ੍ਰਸਤ ਮੁੱਖ ਖੂਨ ਨਾੜੀ ਦਾ ਸਫਲ ਆਪ੍ਰਰੇਸ਼ਨ ਕਰ ਪੀੜਤ ਮਨਹੋਰ ਲਾਲ ਗੌਬਿੰਦਗੜ ਵਾਸੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵਾ ਜੀਵਨ ਦਾਨ ਦਿੱਤਾ।ਆਪਣੀ ਮੁੱਢਲੀ ਵਿਦਿਆ ਮੋਗੇ ਦੇ ਮਸ਼ਹੂਰ ਸਕੂਲ ਸਕੈਰਡ ਹਾਰਟ ਸਕੂਲ ਤੋ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਡੀ ਐਮ ਸੀ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋ ਡਾਕਟਰੀ ਡਿਗਰੀ ਹਾਸਿਲ ਕੀਤੀ। ਵਾਸਕੂਲਾਰ ਸਰਜਰੀ ਚ ਮਾਹਿਰਤਾ ਇਹਨਾ ਨੇ ਨਿਜ਼ਾਮ ਇੰਸਟੀਚਿਉਟ ਆਫ ਮੈਡੀਕਲ ਸਾਇੰਸ(ਨਿਮਸ) ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਤੋ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਉਥੇ 7 ਸਾਲ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ।ਸਰਕਾਰ ਤੋ ਸਕਾਲਰਸਿ਼ਪ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਵਾਸਕੂਲਾਰ ਸਰਜਰੀ ਚ ਉੱਚ ਮਾਹਿਰਤਾ ਡੂਸਲਡਰੋਫ ਅਤੇ ਹਮਬਰਗ(ਜਰਮਨੀ) ਤੋ ਕੀਤੀ। ਡਾ ਗੋਰਵ ਸਿੰਗਲ ਨੇ ਦੱਸਆ ਕਿ ਦਿਲ ਨੂੰ ਖੂਨ ਪਹਿਚਾਉਣ ਵਾਲੀ ਮੁੱਖ ਖੂਨ ਨਾੜੀ ਦਾ ਕੈਸਰ ਗ੍ਰਸਤ ਹਿੱਸਾ ਕੱਢ ਉਸ ਥਾਂ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੀ ਪਾਇਪ ਡਾਕਟਰੀ ਵਿੱਧੀ ਨਾਲ ਪਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ। ਇਹ ਆਪ੍ਰਰੇਸ਼ਨ 7 ਘੰਟੇ ਚੱਲਿਆ।ਡਾਂ ਸਿੰਗਲ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਮੁੱਖ ਖੁਨ ਨਾੜੀ ਸ਼ਰੀਰ ਦੇ ਅਸੁੱਧ ਖੁਨ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੇ ਜਰੀਏ ਫੇਫੜਿਆ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਫੇਫੜੇ ਅਸੁੱਧ ਖੁਨ ਨੂੰ ਸੁੱਧ ਕਰ ਦੂਸਰੀ ਨਾੜੀ ਜਰੀਏ ਪੂਰੇ ਸ਼ਰੀਰ ਚ ਪਹੁੰਚਾਉਦੇ ਹਨ।ਪੀੜਤ ਮਨੋਹਰ ਲਾਲ ਇਸੇ ਸਾਲ 16 ਜੂਨ ਨੂੰ ਗੰਭੀਰ ਹਾਲਾਤ ਚ ਉਹਨਾ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚਾਇਆ ਅਤੇ ਜਾਂਚ ਉਪਰੰਤ ਪਤਾ ਚੱਲਆ ਕਿ ਉਸਦੀ ਮੁੱਖ ਖੂਨ ਨਾੜੀ ਕੈਸਰ ਗ੍ਰਸਤ ਹੈ, ਸੋ 18 ਜੂਨ ਨੂੰ ਸੱਤ ਘੰਟੇ ਚੱਲੇ ਲੰਬੇ ਆਪ੍ਰਰੇਸ਼ਨ ਕਰ ਕੈਸਰ ਗ੍ਰਸਤ 15 ਸੈ ਮੀ ਨਾੜੀ ਕੱਟ ਉਸ ਦੀ ਥਾਂ ਡਾਕਟਰੀ ਵਿੱਧੀ ਨਾਲ ਪਲਾਸਟਿਕ ਪਾਇਪ ਫਿੱਟ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਗਈ।ਹੁਣ ਮਰੀਜ ਮਨੋਹਰ ਲਾਲ ਪੂਰੀ ਤਰਾ ਤੰਦਰੁਸਤ ਹੈ। ਮਿਲਣਸਾਰ ਡਾਂ ਸਿੰਗਲ ਦਾ ਮੋਬਾਇਲ ਨੰਬਰ 9779780353 ਹੈ ਅਤੇ ਵਧੇਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ www.gauravsingal.blogspot.com ਤੇ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸੱਕਦੀ ਹੈ।
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SEPTEMBER12,2009 14:37(OSLO,NORWAY)

NEWSPAPERS WHICH COVERED THIS NEWS ARE AS FOLLOWS:
1)MEDIA PUNJAB(THE LARGEST SELLING NEWSPAPER OF EUROPE )
http://www.mediapunjab.com/

2)THE TIMES OF PUNJAB
http://www.thetimesofpunjab.com/

3)EUROPE SAMACHAR
http://www.europesamachar.com/

4)www.badhni.com(PUBLISHED FROM U.K)

5)www.panjabitoday.com(PUBLISHED FROM FRANCE)

Monday, September 7, 2009

ARTICLE IN A LEADING HINDI NEWSPAPER DAINIK JAGRAN REGARDING AWARENESS CONCERNING CAROTID ARTERY DISEASE AND ITS TREATMENT

अब मुश्किल नहीं अधरंग का इलाज
यूं तो सभी बीमारियां दुखदाई व तकलीफदेह होती हैं परंतु कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके कारण मरीज की जिंदगी मृत्यु से भी बदतर हो जाती है। ऐसी ही एक नामुराद बीमारी है- अधरंग, लकवा या पैरालईजिज। इस बीमारी में मरीज के शरीर का एक अंग या शरीर का एक हिस्सा काम नहीं करता। कई मामलों में मरीज की जीभ भी रुक जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज या तो परमानेंट चारपाई से जुड़ जाता है या फिर दूसरों पर निर्भर होकर रह जाता है। कई बार तो उसे अपनी रोजाना दिनचर्या, यानी मलमूत्र त्याग के लिए रेंग कर शौचालय तक जाना पड़ता है। यहां तक कि वह अपने तौर पर न तो खाना खा सकता है और न ही पानी पी सकता है। अधरंग क्यों होता है? : वास्कुलर सर्जन डा. गौरव सिंघल के अनुसार 80 प्रतिशत अधरंग का कारण रक्त का थक्का (ब्लड क्लाट) होता है जो रक्त की नस से टूट कर दिमाग वाली नस में चला जाता है और वह दिमाग को जाने वाली रक्त सप्लाई को बाधित कर देता है। जिस कारण शरीर का कोई अंग या कोई हिस्सा बेकार (निष्कि्रय) हो जाता है। पैरालाइजिज अटैक से 20 प्रतिशत लोगों के रक्त की नाड़ी फट जाती है, जिसे ब्रेन हैमरेज कहा जाता है, इससे इंसान की मृत्यु भी हो जाती है। डा. सिंघल के अनुसार पैरालाइजिज अटैक होने से 2/3 लोग अपाहिज हो जाते हैं, जबकि 1/3 की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि बढ़ती आयु, उच्च रक्तचाप, अत्याधिक मोटापा, शूगर आदि भी अधरंग के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं। यही नहीं अधरंग के 2/3 लोगों में शूगर व रक्तचाप की बीमारी पाई जाती है। लक्षण : अस्थायी तौर पर किसी अंग का काम न करना, बोलने में दिक्कत आना, अचानक गिर जाना या बेहोश हो जाना, मुंह टेढ़ा हो जाना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं। अत: उपरोक्त लक्षण सामने आने पर उन्हें हल्के में न लें तथा तुरंत विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें। समाधान : डा. गौरव सिंगल के अनुसार 80 प्रतिशत लोगों, जिनके खून में थक्का (ब्लड क्लाट) अधरंग का कारण बनता है, में दिमाग का रक्त सप्लाई करने वाली नाड़ी (जिसे करोटिड आर्टरी) कहा जाता है में ब्लाकेज पाई जाती है। उन्होंने बताया कि अब इस ब्लाकेज को खोलना असंभव नहीं है। इस नाड़ी को खोल कर इसमें जमा रक्त का थक्का हटा कर इसे साफ कर दिया जाता है और मरीज पहले वाली स्थिति में आ जाता है। इस आप्रेशन के बाद मरीज को पुन: पैरालाइजिज अटैक का डर भी नहीं रहता। डा. सिंघल के अनुसार इस सर्जरी को करोटिड एण्डारट्रेक्टमी यानि सीईए कहा जाता है और यह सबसे कामन वास्कुलर सर्जरी है जिसमें सिर्फ 60 मिनट लगते हैं। जिसके करने के एक दिन बाद ही मरीज घर चला जाता है और इस पर लगभग 80 से 90 हजार रुपये खर्च आता है।
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